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कस्तूरबा गांधी स्कूल की शिक्षिका का फिल्मी गानों पर रील बनाने का मामला: सोशल मीडिया पर विवाद, विभागीय जांच शुरू

बांदा (उत्तर प्रदेश)।
बांदा जनपद के जसपुरा ब्लॉक स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय इन दिनों एक वीडियो के कारण चर्चा में है। इस वीडियो में विद्यालय की एक महिला शिक्षिका स्कूल परिसर में फिल्मी गाने पर नृत्य करती नज़र आ रही हैं। यह रील उनके इंस्टाग्राम और फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट होने के कुछ ही घंटों में वायरल हो गई और देखते ही देखते यह मामला शिक्षा विभाग तक पहुँच गया।

कैसे शुरू हुआ विवाद

बताया जाता है कि यह वीडियो शिक्षिका ने स्कूल के समय में, विद्यालय परिसर में खड़े होकर बनाया। वीडियो में बैकग्राउंड में लोकप्रिय फिल्मी गीत “सांची कहो हमसे, तुमको कितना प्यार है…” सुनाई देता है। चूँकि यह सरकारी विद्यालय है और यहां पढ़ने वाली छात्राएं आवासीय सुविधा में रहती हैं, ऐसे में सोशल मीडिया पर इस तरह का कंटेंट अपलोड होना कई लोगों को अनुचित लगा।

स्थानीय लोगों और कुछ अभिभावकों ने इस वीडियो को देखते ही आपत्ति जताई और सीधे जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) के पास शिकायत पहुंचा दी।

 

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शिकायत और विभागीय कार्रवाई

शिकायत के बाद BSA अव्यक्तराम तिवारी ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का आदेश दिया।

  • खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) आभा अग्रवाल को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
  • संबंधित शिक्षिका को तीन दिनों के भीतर लिखित स्पष्टीकरण देने का नोटिस जारी किया गया है।
  • विद्यालय प्रशासन से भी इस पूरे प्रकरण पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है।

वार्डन की भूमिका और पुराने आरोप

मामले को और गंभीर तब माना जाने लगा जब विद्यालय की वार्डन पूनम गुप्ता ने भी लिखित शिकायत दी।
उनका आरोप है कि यह शिक्षिका बीते कई महीनों से परिसर में रील और वीडियो बना रही थीं। उन्होंने पहले भी कई बार इस विषय में चेतावनी दी, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
वार्डन का कहना है कि शिक्षिका का व्यवहार अनुशासनहीन था और इससे विद्यालय का वातावरण प्रभावित हो रहा था।

शिक्षिका का पक्ष

दूसरी ओर, शिक्षिका ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह गृह विज्ञान और संगीत की शिक्षिका हैं। वीडियो उन्होंने अपनी बहन को भेजने के लिए बनाया था, लेकिन गलती से इंस्टाग्राम पर पोस्ट हो गया। उनका कहना है कि इसमें किसी भी तरह का गलत उद्देश्य नहीं था और यह एक निजी क्षण था जो अनजाने में सार्वजनिक हो गया।

 

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आईं—

  • कुछ लोगों ने इसे “सरकारी समय में लापरवाही” और “अनुशासनहीनता” बताया।
  • वहीं, कुछ यूज़र्स का कहना था कि यह मात्र एक रचनात्मक अभिव्यक्ति है और इसे इतनी गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।
  • कई लोग यह भी लिखते दिखे कि स्कूल का माहौल पढ़ाई पर केंद्रित रहना चाहिए, और ऐसे वीडियो से इसकी छवि प्रभावित होती है।

सरकारी कर्मचारियों और सोशल मीडिया पर नियम

यह मामला केवल एक वायरल वीडियो तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी कर्मचारियों के सोशल मीडिया उपयोग से जुड़े नियमों पर भी सवाल खड़ा करता है।
सरकारी सेवा नियमों के अनुसार—

  • ड्यूटी के समय किसी भी प्रकार का निजी कार्य, जो सेवा के अनुशासन को प्रभावित करे, अनुचित माना जाता है।
  • सरकारी परिसरों में व्यक्तिगत या मनोरंजन हेतु वीडियो शूटिंग पर प्रतिबंध होता है, जब तक कि वह शैक्षिक या विभागीय उद्देश्य से न हो।
  • सोशल मीडिया पर सरकारी कार्यालय या विद्यालय के अंदरूनी दृश्य साझा करना, बिना अनुमति, विभागीय कार्रवाई का कारण बन सकता है।

स्थानीय समुदाय पर असर

यह मामला बांदा जिले में शिक्षकों की कार्यशैली और सोशल मीडिया के उपयोग को लेकर चर्चा का विषय बन गया है।

  • अभिभावक चाहते हैं कि विद्यालय का माहौल पूरी तरह से शिक्षा-केंद्रित हो।
  • छात्राओं में भी यह चर्चा का विषय बन गया, जिससे पढ़ाई का माहौल प्रभावित हो सकता है।
  • प्रशासन का मानना है कि एक छोटी सी चूक भी सरकारी संस्थान की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है।

 

 


 

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